Audi से Bentley तक – जानिए विराट कोहली किन कारों के दीवाने हैं

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विराट कोहली की कारों की कहानी कभी सोचा है कि एक आम लड़का, जो दिल्ली की गलियों में क्रिकेट खेलते-खेलते बड़ा हुआ, वो कैसे करोड़ों की कारों का मालिक बन गया? हम बात कर रहे हैं भारत के सबसे चहेते क्रिकेटर विराट कोहली की — जिनके बल्ले से निकली हर बॉल जितनी तेज जाती है, उतनी ही रफ्तार उनकी कारों में भी देखने को मिलती है। लेकिन विराट की कारें सिर्फ ब्रांड नहीं हैं, वो उनके हर उस सपने की निशानी हैं जो उन्होंने बचपन में देखा था। जब वो मैदान पर दौड़ते हैं, तो उनकी मेहनत नजर आती है — और जब वो सड़क पर अपनी कार में निकलते हैं, तो उनकी कामयाबी। Audi – वो गाड़ी जो सिर्फ शौक नहीं, प्यार है विराट कोहली का अगर किसी ब्रांड से सबसे ज्यादा लगाव है, तो वो है Audi । ऐसा लगता है जैसे Audi और विराट की दोस्ती दिल से हुई है। Audi R8 LMX – ये कोई आम कार नहीं, ये एक तेज़ रफ्तार सपना है। विराट जब इसमें बैठते हैं तो ऐसा लगता है जैसे मैदान पर शतक जड़ दिया हो। इसकी आवाज़ में एक जुनून है — वही जुनून जो विराट के खेलने में दिखता है। Audi Q8 – थोड़ी सादी, लेकिन बेहद खास। ये उनकी रोजमर्रा की साथी है, जो ...

क्या रोहित शर्मा और विराट कोहली के रिटायरमेंट के पीछे हेड कोच गौतम गंभीर की रणनीति है?

 भारतीय क्रिकेट टीम में बदलाव की आहट अब साफ सुनाई देने लगी है। दिग्गज बल्लेबाज़ रोहित शर्मा और विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया है, और अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या इन दोनों की विदाई अचानक हुई, या फिर इसके पीछे टीम इंडिया के नए कोच गौतम गंभीर की योजना थी?

खबरों की मानें तो गंभीर ने पहले ही साफ कर दिया था कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के अगले चक्र में वे युवा खिलाड़ियों के साथ नई शुरुआत करना चाहते हैं। बीसीसीआई के सूत्रों के अनुसार, गंभीर भारतीय टीम के भीतर लंबे समय से चले आ रहे 'स्टार कल्चर' को खत्म करने के पक्ष में थे। उनके इस नजरिए को चयन समिति के प्रमुख अजित अगरकर का भी समर्थन प्राप्त था।

भारतीय क्रिकेट में अक्सर कप्तान की भूमिका सबसे निर्णायक रही है  सौरव गांगुली से लेकर धोनी, विराट और रोहित तक  सभी ने टीम चयन में बड़ी भूमिका निभाई। लेकिन अब परिस्थितियाँ बदलती दिख रही हैं। गंभीर के कोच बनने के बाद पहली बार ऐसा लग रहा है कि टीम के संचालन में कोच की भूमिका कप्तान से बड़ी हो गई है।

इससे पहले भी भारतीय क्रिकेट में ऐसे उदाहरण मिलते हैं जब दिग्गज कोचों को खिलाड़ियों की ताकत के आगे झुकना पड़ा  ग्रेग चैपल, अनिल कुंबले और बिशन सिंह बेदी जैसे नाम इसका उदाहरण हैं। वहीं जॉन राइट, गैरी कर्स्टन और रवि शास्त्री ने खिलाड़ियों के साथ सामंजस्य बनाकर सफलता पाई। लेकिन गंभीर का नजरिया थोड़ा अलग है — वे सशक्त और स्पष्ट सोच वाले कोच हैं, जो टीम में बदलाव के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

गंभीर अब ऐसी स्थिति में हैं जहां उनके पास एक युवा कप्तान शुभमन गिल है, जो उनके नेतृत्व को सहजता से स्वीकार करेगा। गिल भले ही उभरते हुए सितारे हों, लेकिन अभी तक उनका प्रभाव विराट या रोहित जैसा नहीं है कि वे कोच के निर्णयों को चुनौती दे सकें। सिर्फ जसप्रीत बुमराह ऐसे खिलाड़ी हैं जिनका कद टीम में बड़ा है, लेकिन उनकी फिटनेस की समस्या उन्हें कप्तानी के लिए सीमित कर देती है।

यह भी माना जा रहा है कि रोहित और गंभीर के बीच तालमेल पूरी तरह से सहज नहीं था, और यही वजह है कि इस बार कोच ने भविष्य की योजना बनाते हुए बड़े नामों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि, यह ताकत गंभीर के लिए एक दोधारी तलवार भी साबित हो सकती है — अगर परिणाम अनुकूल नहीं रहे, तो सवाल उन्हीं की ओर उठेंगे।

वनडे क्रिकेट में स्थिति थोड़ी अलग हो सकती है क्योंकि रोहित और विराट की निगाहें अभी भी 2027 विश्व कप पर टिकी हैं। ऐसे में गंभीर को संतुलन बनाकर चलना होगा, जहां अनुभव और युवा जोश का मेल टीम इंडिया को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सके।

*धन्यवाद 🙏*

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